इतने भी गहरे नहीं उतरे ज़हन में,
की आपको लिखा जाए।
चलिए कुछ और बुरा कीजिए
फ़िर सोचेंगे !!
बहोत नाज़ है खुदकी गलतियों पे
खता भी आपकी और बेरुखी भी,
इस बार मनाने आना ख़ुद
फ़िर सोचेंगे।।
गर सुकून मिल ही रहा है,उसके पास
तो मेरे ख्यालों में बेवजह आना जाना कैसा?
इसबार गर आना हो, तो युं जाना मत,
फ़िर सोचेंगे।।
ठीक है,चले जाओ फ़िलहाल !
हां!जब जरूरत पड़े तो हिचकियां भेजदेना
फ़िर सोचेंगे।